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भारत के अनेकानेक रहस्य में कुछ खास रहस्य, जिसे जानकर भारतीय होने पर ग ...

  • 24-11-2023
ऋषि-मुनियों की भूमि भारत एक रहस्यमय देश है इसके कुछ अंश इस प्रकार है। 1. प्रकृति एक ओर समुद्र तो दूसरी ओर बर्फीले हिमालय है। एक ओर रेगिस्तान तो दूसरी ओर घने जंगल है। एक ओर ऊंचे-ऊंचे पहाड़ तो दूसरी ओर मैदानी इलाके है। प्रकृति के ऐसे सारे रंग किसी अन्य देश में नहीं है। भारतीय मौसम दुनिया के सभी देशों के मौसम से बेहतर है। सिर्फ यहीं पर प्रमुख रूप से चार ऋतुएं होती है। विदेशी यहां आकर भारत के वातावरण से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। 2. ऋषि-मुनि सप्त ऋषियों के अलावा, कपिल, कणाद, गौतम, जैमिनि, व्यास, पतंजलि, बृहस्पति, अष्टावक्र, शंकराचार्य, गोरखनाथ, मत्स्येंद्र नाथ, जालंधर, गोगादेव, झुलेलाल, तेजाजी महाराज, संत नामदेव, संत ज्ञानेश्वर, रामानंद, कबीर, पीपा, रामसापीर बाबा रामदेव, पाबूजी, मेहाजी मांगलिया, हड़बू, रैदास, मीराबाई, गुरुनानक, धन्ना, तुलसीदास, दादू दयाल, मलूकदास, पलटू, चरणदास, सहजोबाई, दयाबाई, एकनाथ, तुकाराम, समर्थ रामदास, भीखा, वल्लभाचार्य, चैतन्य महाप्रभु, विट्ठलनाथ, संत सिंगाजी, हितहरिवंश, गुरु गोविंदसिंह, हरिदास, दूलनदास, महामति प्राणनाथ, शिरडी के साई बाबा, शैगांव के गजानन महाराज, रामकृष्‍ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, मेहर बाबा, दादा धूनी वाले, लाहड़ी महाशय, शीलनाथ बाबा, महर्षि अरविन्द, जे कृष्णमूर्ति, ओशो, स्वामी प्रभुपाद, दयानंद सरस्वती, महर्षि महेश योगी, एनी बिसेंट, आनंद मूर्ति, दादा लेखराज, श्रीशिव दयाल सिंह, श्रीराम शर्मा आचार्य, देवहरा बाबा, नीम करौली बाबा आदि ऐसे हजारों साधु और संत हैं। 3. 'प्रथम मानव' यूं तो मनुष्य विकासक्रम से मनुष्य बना, लेकिन कहते हैं कि मनुष्य प्रारंभ में भारत में ही रहता था। शोधानुसार सप्तचरुतीर्थ के पास वितस्ता नदी की शाखा देविका नदी के तट पर मनुष्य जाति की उत्पत्ति हुई। प्रथम सृष्टिकर्ता मानव को स्वायंभु मनु कहा गया। 4. 'प्रथम धर्म' ऋग्वेद को संसार का प्रथम धर्मग्रंथ माना जाता है। ऋग्वेद को भारतीयों ने ही सरस्वती नदी के तट पर बैठकर लिखा गया। चार ऋषियों अग्नि, वायु, अंगिरा और आदित्य ने मिलकर ऋग्वेद के ज्ञान को वाचिक परंपरा में ढाला जो अभी तक जारी है। वेदों पर आधारित धर्म को ही सनातन वैदिक या हिन्दू धर्म कहा जाता है। 5. मोक्ष का दर्शन योग, तप, षड् दर्शन और ध्यान ही धर्म और मोक्ष का मार्ग है। प्राचीन काल से ही साधु-संतों ने इसे प्रचारित किया। ऋषि पतंजलि ने इसे 'आष्टांग योग' नाम से सुव्यवस्थित किया। आष्टांग योग के बाहर धर्म, दर्शन और अध्यात्म की कल्पना नहीं की जा सकती। 6. मंदिर और गुफाएं भारत में कई प्राचीन रहस्यमी मंदिर, स्तंभ, महल और गुफाएं हैं। बामियान, बाघ, अजंता-एलोरा, एलीफेंटा और भीमबेटका की गुफाएं। 12 ज्योतिर्लिंग, 51 शक्तिपीठ के अलावा कई चमत्कारिक मंदिर। 7. रहस्यमयी विद्याएं प्राणविद्या, त्राटक, सम्मोहन, जादू, टोना, स्तंभन, इन्द्रजाल, तंत्र, मंत्र, यंत्र, चौकी बांधना, गार गिराना, सूक्ष्म शरीर से बाहर निकलना, पूर्वजन्म का ज्ञान होना, अंतर्ध्यान होना, त्रिकालदर्शी बनना, मृत संजीवनी विद्या, ज्योतिष, सामुद्रिक शास्त्र, वास्तु शास्त्र, हस्तरेखा, पानी बताना, धनुर्विद्या, अष्टसिद्धियां, नवनिधियां आदि सैंकड़ों विद्याओं का जन्म भारत में हुआ। 8. किताबें उपनिषद की कथाएं, पंचतंत्र, बेताल या वेताल पच्चीसी, जातक कथाएं, सिंहासन बत्तीसी, हितोपदेश, कथासरित्सागर, तेनालीराम की कहानियां, शुकसप्तति, कामसूत्र, कामशास्त्र, रावण संहिता, भृगु संहिता, लाल किताब, संस्कृत सुभाषित, विमान शास्त्र, योग सूत्र, परमाणु शास्त्र, शुल्ब सूत्र, श्रौतसूत्र, अगस्त्य संहिता, सिद्धांतशिरोमणि, चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, च्यवन संहिता, शरीर शास्त्र, गर्भशास्त्र, रक्ताभिसरण शास्त्र, औषधि शास्त्र, रस रत्नाकर, रसेन्द्र मंगल, कक्षपुटतंत्र, आरोग्य मंजरी, योग सार, योगाष्टक, अष्टाध्यायी, त्रिपिटक, जिन सूत्र, समयसार, लीलावती, करण कुतूहल, कौटिल्य के अर्थशास्त्र, आदि लाखों ऐसी किताबें हैं जिनके दम पर आज विज्ञान, तकनीक आदि सभी क्षेत्रों में प्रगति हो रही है। 9. कला कलारिपट्टू (मार्शल आर्ट), भाषा, लेखन, नाट्य, गीत, संगीत, नौटंकी, तमाशा, स्थापत्यकला, चित्रकला, मूर्तिकला, पाक कला, साहित्य, बेल-बूटे बनाना, नृत्य, कपड़े और गहने बनाना, सुगंधित वस्तुएं-इत्र, तेल बनाना, नगर निर्माण, सूई का काम, बढ़ई की कारीगरी, पीने और खाने के पदार्थ बनाना, पाक कला, सोने, चांदी, हीरे-पन्ने आदि रत्नों की परीक्षा करना, तोता-मैना आदि की बोलियां बोलना आदि कलाओं का जन्म भारत में हुआ। 10.खेल शतरंज, फुटबॉल, कबड्डी, सांप-सीढी का खेल, ताश का खेल, तलवारबाजी, घुड़सवारी, धनुर्विद्या, युद्ध कला, खो-खो, चौपड़ पासा, रथ दौड़, नौका दौड़, मल्ल-युद्ध, कुश्ती, तैराकी, भाला फेंक, आखेट, छिपाछई, पिद्दू, चर-भर, शेर-बकरी, चक-चक चालनी, समुद्र पहाड़, दड़ी दोटा, गिल्ली-डंडा, किकली (रस्सीकूद), मुर्ग युद्ध, बटेर युद्ध, अंग-भंग-चौक-चंग, गोल-गोलधानी, सितौलिया, अंटी-कंचे, पकड़मपाटी, पोलो या सगोल कंगजेट, तीरंदाजी, हॉकी, गंजिफा, आदि खेलों का जन्म भारत में हुआ। 11.अविष्कार पहिया, बटन, रूलर स्केल, शैम्पू, विमान, नौका, जहाज, व्यंजन, रथ, बैलगाड़ी, भाषा, व्याकरण, शून्य और दशमलव, शल्य चिकित्सा, हीरे का खनन, खेती करना, रेडियो, बिनारी कोड, स्याही, धातुओं की खोज, प्लास्टिक सर्जरी, अस्त्र-शश्त्र, बिजली, ज्यामिती, गुरुत्वाकर्षन का नियम, आयुर्वेद चिकित्सा, पृथ्वी का सूर्य का चक्कर लगाना, ब्रह्मांड की लंबाई चौड़ाई नापना, कैलेंडर, पंचाग, परमाणु सिद्धांत, वाद्य यंत्र, पाई के मूल्य की गणना, लोकतंत्र, साम्यवाद आदि का अविष्कार भारत में हुआ। भगवती कृपा सनातन धर्म विचार अखंड भारत हिंदू राष्ट्र मिशन
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कर्म कितना भी अच्छा हो शास्त्र अनुकूल न होने पर न भौतिक नाही आध्यात् ...

  • 15-11-2023
कर्म कितना भी अच्छा हो शास्त्र अनुकूल न होने पर न भौतिक नाही आध्यात्मिक और नाही सद्गति किसी भी प्रकार का सुखद परिणाम नहीं होता। यः शास्त्रविधिमुत्सृज्य वर्तते कामकारतः l न स सिद्धिमवाप्नोति न सुखं न परां गतिम् ll भावार्थ - जो शास्त्रों के आदेशों की अवहेलना करता है और मनमाने ढंग से कार्य करता है, उसे न तो सिद्धि, न सुख, न ही परमगति की प्राप्ति हो पाती है।
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धर्म जागरण मंच की तरफ से आप सभी को दीपावली महापर्व की हार्दिक मंगल का ...

  • 12-11-2023
*सर्वज्ञे सर्ववरदे* *सर्वदुष्टभयंकरि l* *सर्व दुःखहरे देवि* *महालक्ष्मि नमोस्तुते ll* भावार्थ -- *सब कुछ जानने वाली, सबको वर देने वाली, समस्त दुष्टों को भय देने वाली और सबके दुःखों को दूर करने वाली, हे महालक्ष्मी ! तुम्हें प्रणाम है l धर्म जागरण मंच की तरफ से आप सभी को दीपावली महापर्व की हार्दिक मंगल कामनाएं।
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श्री यंत्र जो विविध शक्तियों से युक्त है दीपावली में अपने घर में करे ...

  • 26-09-2023
श्री यंत्र जो विविध शक्तियों से युक्त है दीपावली में अपने घर में करें स्थापित यह वर्ष होगा के लिए धन समृद्धि कारक । मां लक्ष्मी की कृपा के साथ विविध शक्तियों से युक्त घर में समृद्धि आरोग्य आरोग्य की कामना करते हैं तो धर्म जागरण मंच को संपर्क कर सकते हैं धर्म जागरण मंच का उद्देश्य है सभी सुखी आनंदित एवं राष्ट्र के सभी नागरिक बने जिसमें यह सहयोगी हो सकता है आपके सूचना के बाद ही आपके लिए इसे पूर्ण विधि विधान से तैयार किया जाएगा और दीपावली में आप इसे घर में स्थापित कर सकते हैं जिससे सभी प्रकार के लाभ मिलने आरंभ हो जाएंगे
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जप के लिए माला का प्रयोग मन्त्र एवं इष्ट के अनुसार बदल जाया करता है | इ ...

  • 17-09-2023
नारायण के जप, गायत्री जप, राम नाम का जप में तुलसी का माला विशेष लाभदायक है महालक्ष्मी के जप के लिए कमलगट्टे की माला धनधान्य दायक है मानसिक लाभ तथा माँ सरस्वती के लिए स्फटिक का माला उपयोगी है इस प्रकार से मन्त्र एवं इष्ट के अनुसा माला का निर्धारण करना चाहिए | किसी भी भद्रकाली ,भगवन शिव के लिए विशेष रूप से रुद्राक्ष माला से जप करना चाहिए बताते चले जप आवश्यक है तत्संबंधित माला उपलब्ध नहीं है तो रुद्राक्ष माला का प्रयोग लगभग सभी के लिए उपयोगी है | जय श्री राम |
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स्कंद पुराण के अनुसार अलग-अलग विशिष्ट वृक्षो का विज्ञान

  • 09-09-2023
पीपल, बट,नीम, बेल, आंवला इत्यादि में छुपा है रहस्य हमारे पूर्वज इसे ज्यादा मात्रा में लगाने को कहते हैं क्या कारण है आईए जानते हैं। अश्वत्थमेकम् पिचुमन्दमेकम् न्यग्रोधमेकम् दश चिञ्चिणीकान्। कपित्थबिल्वाऽऽमलकत्रयञ्च पञ्चाऽऽम्रमुप्त्वा नरकन्न पश्येत्।। अश्वत्थः = पीपल (100% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है) पिचुमन्दः = नीम (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है) न्यग्रोधः = वटवृक्ष (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है) चिञ्चिणी = इमली (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है) कपित्थः = कविट (80% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है) बिल्वः = बेल (85% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है) आमलकः = आवला (74% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है) आम्रः = आम (70% कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है) (उप्ति = पौधा लगाना) अर्थात् - जो कोई इन वृक्षों के पौधो का रोपण करेगा, उनकी देखभाल करेगा उसे नरक के दर्शन नही करने पड़ेंगे। इस सीख का अनुसरण न करने के कारण हमें आज इस स्थिति परिस्थिति स्वरूप में नरक के दर्शन हो रहे हैं। अभी भी कुछ बिगड़ा नही है, हम अभी भी अपनी गलती सुधार सकते हैं औऱ गुलमोहर निलगिरी जैसे वृक्ष अपने देश के पर्यावरण के लिए घातक हैं। पश्चिमी देशों का अंधानुकरण कर हमने अपना बड़ा नुकसान कर लिया है। पीपल, बरगद और नीम जैसे वृक्ष रोपना बंद होने से सूखे की समस्या बढ़ रही है। ये सारे वृक्ष वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाते है। साथ ही, धरती के तापनाम को भी कम करते हैं। हमने इन वृक्षों के पूजने की परंपरा को अन्धविश्वास मानकर फटाफट नई संस्कृति के चक्कर में इन वृक्षो से दूरी बनाकर यूकेलिप्टस (नीलगिरी) के वृक्ष सड़क के दोनों ओर लगाने की शुरूआत की। यूकेलिप्टस झट से बढ़ते है लेकिन ये वृक्ष दलदली जमीन को सुखाने के लिए लगाए जाते हैं। इन वृक्षों से धरती का जलस्तर घट जाता है। विगत ४० वर्षों में नीलगिरी के वृक्षों को बहुतायात में लगा कर पर्यावरण की हानि की गई है। शास्त्रों में पीपल को वृक्षों का राजा कहा गया है... मूले ब्रह्मा त्वचा विष्णु शाखा शंकरमेवच। पत्रे पत्रे सर्वदेवायाम् वृक्ष राज्ञो नमोस्तुते।। भावार्थ -जिस वृक्ष की जड़ में ब्रह्मा जी तने पर श्री हरि विष्णु जी एवं शाखाओं पर देव आदि देव महादेव भगवान शंकर जी का निवास है और उस वृक्ष के पत्ते, पत्ते पर सभी देवताओं का वास है ऐसे वृक्षों के राजा पीपल को नमस्कार है आगामी वर्षों में प्रत्येक ५०० मीटर के अंतर पर यदि एक एक पीपल, बड़ , नीम आदि का वृक्षारोपण किया जाएगा, तभी अपना भारत देश प्रदूषणमुक्त होगा। घरों में तुलसी के पौधे लगाना होंगे। हम अपने भविष्य में भरपूर मात्रा में नैसर्गिक ऑक्सीजन मिले इसके लिए आज से ही अभियान आरंभ करने की आवश्यकता है। आइए हम पीपल , बड़ , बेल , नीम , आंवला एवं आम आदि वृक्षों को लगाकर आने वाली पीढ़ी को निरोगी एवं सुजलां सुफलां पर्यावरण देने का प्रयत्न करें..
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"धन" जीवन में स्वास्थ्य सम्पत्ति रुपये पैसे ज्ञान इत्यादि में सर्व श ...

  • 19-08-2023
जिसे चोर चुरा नहीं सकता है जिस धन की अधिकता होने पर टैक्स राजा नहीं ले सकता भाई बटवारे में उस धन में से न हिस्सा ले सकता न मांग सकता है जिस धन की अधिकता से भय नहीं होता न ढोने में भारकारी है सबसे बड़ा गुण व्यय करने के बाद उत्तरोत्तर बढ़ता ही रहता है वह मात्र एक धन विद्या है अतः सभी प्रकार के धनो में विद्या धन सर्व श्रेष्ठ है अभिप्राय यह है की हर क्षण विद्यार्जन औपचारिक या अनौपचारिक विधि से करते रहना चाहिए | यह जन्म से मृत्यु तक घर या बाहर सर्वत्र हर क्षण काम आनेवाला धन है | शास्त्रीय प्रमाण - न चौरहार्यं न च राजहार्यं, न भर्त्री भाज्यं न च भारकारी | व्यये कृते वर्धत एव नित्यं, विद्या धनं सर्व धनं प्रधानम || "धर्म जागरण मंच"
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नक्षत्र गोशाला जो पहली बार भारत देश में होगा स्थापित। इस नक्षत्र गौश ...

  • 09-08-2023
नित्य शास्त्रीय चिंतन व प्रज्ञा शक्ति के प्रयोग से निरंतर शोध चलता रहा परिणामतः परिक्षण के बाद जो सफलता मिली आश्चर्य जनक रहा इस प्रकार नक्षत्र गोशाला की स्थापना का संकल्प लगभग 10 वर्ष पूर्व ही हुआ था पर उसके लिए उपयुक्त भूमि इत्यादि समुचित संसाधन एकत्रित न हो सका पर गोमाता की कृपा से इसके स्थापना के साथ सफलता के आसार नजर आ रहे है।उम्मीद है शिध्र ही इससे दुनिया लाभान्वित हो सकेगी।आपके नाम या नक्षत्र के हिसाब से जो गाय पाली जाएगी उसके दूध, दही, घी इत्यादि के सेवन तथा उसे गाय के दर्शन, स्पर्श से रोग मुक्त होकर सुखी जीवन के साथ अपनी मनोकामनाएं भी आसानी से पूर्ण कर सकते हैं। इसमे अगर आप भी किसी भी प्रकार से सहयोग करना चाहते है तो धर्म जागरण मंच आपका स्वागत करता है ।
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